Thursday 3 November 2011

sher

कोई जामे  इश्क़ पिलआए  क्यूँ \कोई  लाल  हम पे  लुटाए क्यूँ \मैं  तो मिस्ले गर्दो  ग़ुबार हूँ \कोई  अपने पास  बिठाए  क्यूँ \ है  फ़साना  उसका  अज़ीज़तर \कोई उसको  दिल से  भुलाए क्यूँ  \मेरि  झोंपड़ी  मेरा  मैकदा \कोई उससे मुझको  हटाए  क्यूँ \  है सदाए  आजिज़े मुब्तला \कोई  जाम  हम पे लून्धाए क्यूँ \     

Thursday 27 October 2011

Sher

Hind hi ka hai tohfa ye urdu zabaN
is ke dum se hain hum aaj sheeren dahan